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Gobar Gas Plant

खेतों में बायोगैस प्लांट बनवाकर करें अपना खर्चा कम, यह सरकार दे रही सब्सिडी

खेतों में बायोगैस प्लांट बनवाकर करें अपना खर्चा कम, यह सरकार दे रही सब्सिडी

खेतों में केमिकल का इस्तेमाल करना चाहिए, एक से दो बार तो फसल का उत्पादन अच्छा हो जाता है। लेकिन उसके बाद फसल धीरे धीरे बंजर होने लगती है। खेत में फसलों का उत्पादन भी कम होने लगता है।

इस समस्या से किसान काफी ज्यादा परेशान हैं और उसके समाधान को लेकर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस समस्या का समाधान है, कि जैविक खेती की जाए। 

गोबर से बनी खाद से ना सिर्फ मिट्टी में जीवांशों की संख्या बढ़ जाती है, बल्कि फसल की उत्पादकता भी बेहतर मिलने लगती है। चाहे केंद्र सरकार हो या फिर राजा सरकार सभी जैविक खेती को बढ़ावा देने पर लगे हुए हैं। सरकारों द्वारा इससे जुड़ी हुई अलग-अलग तरह की योजनाएं हाउस के सामने आती रही हैं। 

इसी समस्या के समाधान में सरकार ने बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित करने की भी सलाह दी है। यह किसानों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का सृजन करने में मददगार है। 

अब अगर आप यह सुनकर परेशान है कि वह कैसे बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना कर सकते हैं और इसमें तो उन्हें अच्छा खासा खर्चा करना पड़ेगा तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। 

अब बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना के लिए किसानों को आर्थिक मदद भी मिल रही है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने भी किसानों से आवेदन मांगे हैं। 

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कितनी मिलेगी सब्सिडी

हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार किसानों को घन मीटर के हिसाब से अनुदान राशि दी जाएगी। 

जैसे कि 1 घन मीटर से लेकर 2-4 घन मीटर, 6 घन मीटर का बायोगैस प्लांट लगाने पर अनुदान दिया जाएगा। साथ ही सरकार द्वारा सामान्य और एससी-एसटी वर्ग के लिए यह राशि अलग-अलग निर्धारित की गई है।

  • 1 घन मीटर आकार वाले बायोगैस प्लांट की स्थापना के लिए जनरल केटेगरी/ सामान्य वर्ग को 9,800 रुपये और एससी-एसटी वर्ग को 17,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
  • 2 से 4 घन मीटर आकार वाले बायोगैस प्लांट लगाने वाले सामान्य वर्ग के लोगों को 14,350 रुपये तो वहीं एससी-एसटी वर्ग को 22,000 रुपये की मदद मिलेगी।
  • 6 घन मीटर आाकर का बायोगैस संयंत्र बनाने की लागत पर सामान्य वर्ग के आवेदकों को 22,740 रुपये और एससी-एसटी वर्ग को 29,250 रुपये अनुदान का प्रावधान है।

कहां कर सकते हैं आवेदन

किसान जो किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। तो आप आसानी से अपने खेत में गोबर गैस प्लांट यानी कि बायोगैस प्लांट लगवा सकते हैं। इसके लिए आपको जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाना होगा। 

जहां से आपको परियोजना अधिकारी सारी जानकारी दे देंगे। अधिक जानकारी के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग या हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी विजिट कर सकते हैं। 

बायोगैस संयंत्र की स्थापना पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए आप अधिकारी वेबसाइट पर जाकर भी आवेदन दे सकते हैं। http://biogas.mnre.gov.in पर करें आवेदन मांगे गए हैं। 

किसान चाहें तो ई-मित्र केंद्र या सीएससी सेंटर की मदद से सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

बायोगैस प्लांट लगाने पर क्या फायदा होगा

आजकल गांव में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका ज्यादातर कारण है कि बाजार में दूध और दूध से बनने वाले उत्पादों की बहुत ज्यादा डिमांड है। 

लेकिन आप अब अपने पशुओं के वेस्ट से भी कमाई कर सकते हैं और इससे बेहतरीन कुछ नहीं हो सकता। पशुओं से मिलने वाले गोबर से आप बायोगैस प्लांट बना सकते हैं। जिससे आपके घर खर्च के साथ-साथ आपके आमदनी भी बढ़ जाती है। 

देखा जाए तो यह एक किस्म का साइकिल है। खेतों से पशुओं को चारा मिलता है। पशुओं से हमें गोबर मिलता है, जिसको हम बायोगैस प्लांट के आधार पर खाद बनाते हुए फिर से खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं। ये गोबर दोबारा जैव उर्वरक, वर्मीकंपोस्ट या स्लरी के तौर पर फसलों या चारा उगाने के लिए खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह जैविक खाद किसी भी केमिकल से ज्यादा अच्छा काम करता है। आपकी जमीन की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है। 

अगर किसान अपने खेतों में बायोगैस प्लांट लगा लेते हैं। तो माना जा रहा है, कि वह अपनी खेती और घर का काफी ज्यादा खर्च बचा सकते हैं।

मथुरा में बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) बनाने जा रहा है अडानी ग्रुप, साथ ही, गोबर से बनेगी CNG

मथुरा में बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) बनाने जा रहा है अडानी ग्रुप, साथ ही, गोबर से बनेगी CNG

उत्तर प्रदेश के मथुरा में आने वाले बरसाने की श्रीमाता गौशाला से प्रति दिन 35 से 40 टन गोबर निर्मित होता है। इसलिए अडानी कंपनी द्वारा 200 करोड़ के खर्च से गोबर गैस प्लांट (Gobar Gas Plant) स्थापित कर रही है, जिसमें बायोगैस CNG सहित उर्वरक भी निर्मित किया जाएगा। 

जब भी गाय पालन एवं गौ सेवा की बात सामने आती है, तब मस्तिष्क में मथुरा-वृंदावन की एक छवि का दर्शन होता है। यहां पौराणिक काल से ही गाय पालन का विशेष महत्व है। पूर्ण विश्व ब्रज क्षेत्र को दूध हब के रूप में जानता है। 

परंतु, अब इसकी पहचान बायोगैस हब के रूप में की जाती है। हालाँकि, मथुरा में बहुत पहले से रिफाइनरी उपस्थित है। परंतु, फिलहाल निजी कंपनियां भी मथुरा के अंदर बायोगैस सीएनजी एवं खाद निर्मित करने हेतु निवेश किया जा रहा है।

भारत की बड़ी कंपनियों में शम्मिलित अडानी ग्रुप की टोटल एनर्जी बायोमास लिमिटेड द्वारा अब बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला में बायोगैस प्लांट लगाने की योजना पर कार्य चल रहा है। 

आपको बतादें कि 200 करोड़ के खर्च से स्थापित होने वाला यह बायोगैस प्लांट सीएनजी सहित तरल उर्वरक नहीं निर्मित करेगा। जिसके लिए श्री माता गौशाला से प्राप्त होने वाले गोबर का उपयोग किया जाएगा। इस प्लांट हेतु किसानों एवं पशुपालकों से भी गोबर खरीदने की योजना है।

अडानी ग्रुप निर्मित करेगा सीएनजी (CNG) एवं गोबर

भारत की बड़ी गौशालाओं में शम्मिलित बरसाना की श्री माता गौशाला के अंदर गौ सेवा सहित आमदनी का सृजन भी होगा। खबरों के मुताबिक, तो अड़ानी टोटल गैस लिमिटेड द्वारा रमेश बाबा की श्री माता गौशाला से मिलकर समझौता हुआ है, जिसके अंतर्गत गौशाला की भूमि पर ही बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित किया जाना है। 

इस 13 एकड़ में विस्तृत प्लांट 40 टन गोबर की क्षमता रखता है, जिससे कि 750 से 800 किलो तक सीएनजी की पैदावार उठायी जा सकती है। साथ ही, प्लांट से प्राप्त होने वाला तरल खाद भी किसानों को मुहैय्या कराया जाएगा। 

इस समझौते के अंतर्गत गौशाला के अंदर निर्मित किया जा रहा है। अडानी ग्रुप का बायोगैस प्लांट 20 वर्ष हेतु गौशाला की भूमि का उपयोग करेगा। जिसके बदले में गौशाला को किराया एवं गोबर के बदले भुगतान भी प्रदान किया जाना है।

केवल इतना ही नहीं, यहां निर्मित होने वाला बायोगैस CNG विक्रय कर जो आय होनी है। जिसका एक भाग गौशाला में गो सेवा पर भी व्यय होगा।

इन प्रसिद्ध डेयरियों ने भी बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना की है

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो कि कभी कृषि एवं पशुपालन पर आश्रित रहती थी। वह अब गोबर से आय के मॉडल को तीव्रता से अपना रही है। वर्तमान में बहुत से किसान-पशुपालक बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित करके तरल खाद सहित व्यक्तिगत जरूरतों को पूर्ण करने हेतु बायोगैस का निर्माण कर रही हैं। 

इससे बहुत सारे घरों का चूल्हा चलता है। गोबर के मॉडल में तीव्रता से आने वाली वृद्धि से मुनाफा देखने को मिल रहा है। इसलिए वर्तमान में बहुत सारी कंपनियों द्वारा इस मॉडल पर निवेश किया जा रहा है। 

अडानी समूह से पूर्व अमूल कंपनी द्वारा भी गुजरात में भी ऐसा ही बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया है। हरियाणा की वीटा डेरी द्वारा भी नारनौल में इसी तरह के प्लांट पर कार्य किया जा रहा है। 

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देश की कई बड़ी कंपनियां गोबर से करोड़ों की कमाई करने की तैयारी कर रही हैं. इसी गोबर से रसोई गैस और वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस बनाई जा रही है. साथ ही,फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर भी बनाए जा रहे हैं.

बायोगैस पूर्व से ही निर्मित की जा रही है

किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा के बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्री माता गौशाला में पूर्व से ही एक बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया है। जिससे प्रत्येक दिन 25 टन गोबर से बायोगैस निर्मित की जाती है। 

इस गैस के माध्यम से ही गौशाला रौशन रहती है। बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) से निकलने वाली गैस द्वारा 100 केवी का विद्युत जनित्र संचालित होता है। गौशाला के विभिन्न कार्यों हेतु विघुत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा

पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा

पंजाब के गगनदीप सिंह ने भारत में नवाचार डेयरी किसान के टूर पर मिसाल कायम कर रहे हैं। गगनदीप का 150 गाय के डेयरी फार्म (Dairy farm) सहित बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) भी है, जिसके जरिये वह अपने गांव की प्रत्येक आवश्यकता को पूर्ण कर रहे हैं, प्रतिदिन भारत से एक नवीन हुनर सामने आता दिख रहा है। सर्वाधिक नवाचार कृषि जगत में देखने को मिल रही है। एक इनोवेटिव आइडिया किसानों के साथ-साथ पूरे गांव के हालात परिवर्तित कर देते है। 

वर्तमान दौर में हमारे मध्य ऐसे बहुत से किसान उपलब्ध हैं, जो खुद के इनोवेटिव आइडिया की वजह से स्वयं तो आत्मनिर्भर हुए ही हैं साथ ही अपने पूरे गांव एवं किसानों के प्रति सामाजिक दायित्व को निभाते हुए बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। इसमें सबसे विशेष जो बात है वह ये कि गगनदीप का Innovation पर्यावरण सुरक्षित रखने में बेहद सहायक साबित हो रहा है।

इस लेख में हम आगे गगनदीप के सराहनीय Innovative Idea के बारे में और गगनदीप के बारे में जानेंगे जिसने गाँव की तकदीर ही बदल दी। बतादें कि गगनदीप सिंह के डेयरी फार्म में लगभग 150 गौवंश मौजूद है। इन गौवंशों से ना केवल दूध उत्पादन लिया जा रहा है, जबकि गाय के गोबर द्वारा उत्तम मुनाफा कमा रहा है। गगनदीप सिंह ने डेयरी फार्म के सहित एक बायोगैस संयंत्र स्थापित किया गया है, जिसमें गाय के गोबर के एकत्रित करके बायोगैस एवं जैविक खाद निर्मित की जा रही है। 

बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) द्वारा उत्पन्न गैस के माध्यम से आज पूरा गांव अपना चूल्हा चला रहा है। दूसरी तरफ अतिरिक्त बचे गोबर के अवशेष द्वारा जैविक खाद तैयार कर किसानों को उपलब्ध किया जा रहा है। गगनदीप द्वारा Innovative Idea का यह प्रभाव है, कि वर्तमान में गांव के किसी भी घर में रसोई गैस का सिंलेंडर नहीं है। गाँव के लोग बायोगैस प्लांट द्वारा उत्पन्न गैस से मुफ्त में भोजन बनाते हैं। 

पूरा गाँव जला रहा मुफ्त में चूल्हा

गोबर को धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सोना कहा जाता है। इसके द्वारा ना केवल मृदा की उर्वरक शक्ति बढ़ रही है, साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह काफी सुरक्षित है। पंजाब राज्य के रूपनगर निवासी गगनदीप सिंह द्वारा इसी गोबर का उचित प्रयोग करके पूरे गांव को समृद्ध एवं सुखी बना दिया है। आपको जानकारी हेतु बतादें कि गगनदीप सिंह द्वारा स्वयं 150 गाय के डेयरी फार्म सहित 140 क्यूबिक मीटर का भूमिगत बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) निर्मित किए हैं, जहां से एक पाइपलाइन को भी निकाल दिया गया है। इस ​पाइपलाइन द्वारा गांव के प्रत्येक व्यक्ति को बायोगैस का कनेक्शन दे दिया गया है। वर्तमान में इस पाइपलाइन कनेक्शन के माध्यम से प्रत्येक रसोई को 6 से 7 घंटे प्रतिदिन खाना निर्मित करने हेतु बायोगैस उपलब्ध करायी जाती है।

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इस गैस को पूर्णतयः निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, इससे गांव के प्रत्येक घर में सिलेंडर का 800 से 1000 रुपये का व्यय खत्म हो गया है। कोरोना महामारी के मध्य, जब भारत में रसोई गैस की आपूर्ति हेतु काफी दिक्कत हो रही थी, उस समय गगनदीप के गांव का प्रत्येक चूल्हा बिना किसी दिक्कत के प्रज्वलित हो रहा था। 

किसानों को भी हो रहा है फायदा

जानकारी हेतु बतादें, कि गगनदीप सिंह द्वारा स्वयं के डेयरी फार्म के नीचे भूमिगत नालियां स्थापित की हैं, जिनके माध्यम से गाय के गोबर तथा गौमूत्र को पानी सहित बायोगैस प्लांट में पहुँचाया जाता है। बायोगैस प्लांट में स्वचालित तरीके से कार्य होता रहता है। प्लांट के ऊपरी स्तर से निकलने वाली गैस को रसोईयों में भेजा जाता है। शेष बचा हुआ गोबर एवं अवशेष (स्लरी) गड्ढों में जमा हो जाता है।

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यह स्लरी किसानों के लिए बेची जाती है, इससे किसान जैविक खाद निर्मित कर खेती में उपयोग करते हैं। पहले किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों हेतु जो व्यय किया जाता था, इस खाद की वजह से उस समस्त खर्च की बचाया जा रहा है। इसकी वजह से किसान पर्यावरण के संरक्षण के लिए जैविक खेती की तरफ अग्रसर होने की प्रेरणा मिली है। 

बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए सरकार दे रही अनुदान

वर्तमान भारत में 53 करोड़ से अधिक पशुधन हैं, जिनसे प्रतिदिन 1 करोड़ टन गोबर मिलती है। अगर किसान एवं पशुपालक इसी गोबर का समुचित उपयोग किया जाए तो अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। आपको बतादें कि गोबर की शक्ति का सबसे ज्यादा फायदा यह है, कि वर्तमान में सरकार भी बड़े बायोगैस प्लांट स्थापित करने हेतु सब्सिडी प्रदान करती है। ऐसे गोबर गैस प्लांट में 55 से 75 प्रतिशत मीथेन का उत्सर्जन विघमान होता है, जिसका उपयोग भोजन निर्मित करने से लेके गाड़ी चलाने हेतु भी किया जाता है।